Wednesday, February 17, 2010

मंडली एक, बच्चों की....

सुबह-सुबह जब

किरण धूप की निकलती है

मंडली एक, बच्चों की

कुड़ा बिछने निकलती है

मस्त-मौला ये अपने कामों में

शहर के गली-गली भटकती है

हर किसी की नज़र इनपे परती है

मगर, उन्हें यह तनीक भी नहीं अखरती है

जब इन बच्चों की आंखे उनपे पड़ती है

जिनके कदम बस्ता लेकर

विद्यालय की ओर बढती है

ख्वाबों में ये डूब जाते हैं

और किसी से पूछ भी नहीं पाते हैं

कि हम स्कूल क्यों नहीं जाते हैं ?

-Kushboo Sinha
9 th std.
D.A.V. Public School,
Pupri,Sitamarhi

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