Wednesday, February 24, 2010

गरीब – अमीर

देखो गरीबों की दीन-दसा |

फिर भी अमीरों की ठाठ सजा |

कहीं सूखी रोटी पे आफत |

कहीं मिष्ठानों की बरसात |

कहीं पट की सामर्थ नहीं |

कहीं पट न सुहात |

कहीं रही कल्पना भी फिकी |

कहीं हकीकत पे रंग चढा |

कहीं जीवन खाली पड़ा |

कहीं उमंग ही उमंग भरा |

देखो गरीबों की दीन-दसा |

फिर भी अमीरों की ठाठ सजा |

- Kushboo Sinha
9 th std.
D.A.V. Public School,
Pupri, Sitamarhi

2 comments:

vikas said...

Wow!!!gr8

lovena said...

a very profound analysis of wat is happening nowadays..