Monday, October 3, 2011

कुछ कहती है तस्वीरें – 9


भले ही हमारे माननीय पूर्व राष्ट्रपति .पी.जे. अब्दुल कलाम ने हमें विजन 2020 के लिए प्रेरित किया, लेकिन वर्तमान राजनीतिक द्वंद और प्रशासनिक अव्यवस्था को देखकर हमारे पूर्व राष्ट्रपति का विजन 2020, जिसे लेकर हम जैसे युवा बहुत उत्साहित रहे, अब केवल कोरे सपने से अधिक कुछ भी प्रतीत नहीं होता। हमारे राजनेताओं के थोथे वादों और चुनावी घोषणाओं पर किसी का विश्वास नहीं रहा। उनके लिए राजनीति का मतलब केवल राजनीतिक द्वंद, आरोप-प्रत्यारोप और घोटाला मैनेजमेंट रह गया है? समयचक्र व्यतीत होता जा रहा है पर हम आज भी उस जगह को बहुत पीछे नहीं छोड़ पाए हैं जहां से हमने विकसित भारत का सपना आँखों में लिए सफर की शुरूआत की थी। उपरोक्त तस्वीर उसका एक उदाहरण मात्र है। इतना ही नहीं हम अपने शहीदों की भी खिल्लियाँ उड़ा रहे हैं, जिन्होंने आजाद भारत के लिए जाने क्या-क्या सपने लिए खुद को कुर्बान कर दिया।

एक ओर योजना आयोग की वह रिपोर्ट है जो खाने पर प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्र में 26 और शहरी क्षेत्र में 32 रुपए खर्च करने वाले को गरीब मानने से इंकार कर रही है तो दूसरी ओर यह बच्चा है जो औरों के काम करते रहने के बावजूद इस तेज धूप में इतना निढाल हो चुका है कि जमीन को आसरा और आसमान को छत बनाकर इस मिट्टी पर ही नींद की आगोस में समा गया है। आखिर इसके लिए योजना आयोग की उस रिपोर्ट और उसपर छिड़ी देशव्यापी बहस के क्या मायने हैं?

6 comments:

Sunil Kumar said...

सरकार को प्रजा से मतलब नहीं है केवल राजा से है वह कैसे जेल से बाहर आये :(

Pallavi saxena said...

आपके इस ब्लॉग पर क्या कहूँ कुछ समझ नहीं आरहा है सब समय का खेल है।
समय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/

Kavita Prasad said...

विज़न २०२० दिखाया गया था उसे पूरा करने के लिए न की आंखें बंद करने के लिया| मेरे ख्याल मैं हमें उम्मीद नहीं छोडनी चाहिए| आपकी तस्वीर की अभिवक्ति अच्छी है|

TWO STATES said...

nice article,,,, must read

GOPUJA said...

सही है लेकिन ये तस्वीर महज बानगी भर है जब आप सुदूर क्षेत्र में जा कर कर देखेंगे तो सरकार दुरा किये जारहे तमाम दावे डपोर्शंकी ही साबित होगी.. ख़ास बात ही की बिहार में जिस तरह से विकास के दावे किये जा रहे है वे महज सरकारी फाइल में ही दम तोर रही है या मंत्रियो के परिवारवाद के चक्कर में दम तोर रहा है
chandan singh Saharsa
www.saharsatimes.blogspot.com

DHIRENDRA said...

sach to ye h ki hm b bs inki bate karte h ink liye kuchh karne ka wakht hamare pas b ni hota.sarkar k sath sath samaj ka ek padha likha yuwa warg jinpe is desh ki sari vyatha asrit h wo b inse najre churate h