Thursday, March 21, 2013

संबंध के उम्र को लेकर राष्ट्रीय परिचर्चा बनाम सरकारी एजेंडा सेटिंग


प्रस्तावित आपराधिक कानून संशोधन विधेयक के नए स्वरूप को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दे दी गई और इसमें सहमति से यौन संबंध बनाने की मान्य उम्र को घटाया नहीं गया, इसे 18 वर्ष ही रखा गया. कहने वाले कह सकते हैं कि देश भर में ‘अचानक से  शुरू हुए राष्ट्रीय परिचर्चा’  ने अपना रंग दिखाया और सरकार दबाव में आ गई. परंतु इसका दूसरा पहलू यह है कि “खाया पिया कुछ नहीं और ग्लास तोड़ा बारह आना”. सीधे-सीधे कहा जाए तो सरकार ने शानदार तरीके से ‘एजेंडा सेटिंग थ्योरी’ का इस्तेमाल किया और पूरा देश तथा हमारी मीडिया इस एजेंडा सेटिंग के भंवर में उलझ गई. सभी समाचार पत्र/पत्रिकाओं के पन्ने इन खबरों और परिचर्चाओं से रंगने लगे कि सहमति से संबंध की उम्र 16 होनी चाहिए या 18? टेलीवजन समाचार चैनलों के हेडलाइंस, डिबेट प्रोग्राम और टॉक शो आदि भी सोलह से अठारह के बीच ही उलझी रहीं. ठीक वैसे ही जैसा सरकार चाहती थी. जबकी सरकार द्वारा पहले से ही तय था कि उसे करना क्या है. सरकारी दस्तावेज में उसे सहमति से संबंध की उम्र को 16 में बांधना है या 18 में. क्योंकि हर किसी को पता है कि वास्तविक धरातल पर इसके लिए उम्र की सीमा को बाँध पाना न कानून के बस में है और न ही कानून के निर्माताओं के. क्योंकि जब बात आपसी सहमति पर आकर ही टिकती है तो क्या आपसी सहमति होने की स्थिति में लोग कानून की अनुमति का इंतजार करेंगे? फिर हमारे देश की जो सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना है उसके तहत शादी की उम्र अठारह और सहमति से संबंध की उम्र सोलह के दो अलग-अलग मानदंड कैसे संभव है?
तो क्या सरकार इतनी नासमझ है कि जिन मुद्दों पर हम सोच-विचार रहे हैं , उस पर हमारी सरकार नहीं सोची होगी? हमें सरकार को नासमझ समझने की नासमझी तो कतई नहीं करनी चाहिए. वजह यह कि सरकार द्वारा उम्र का यह खेल (18 से 16 और 16 से 18) एक सोची-समझी रणनीति के तहत खेला गया. देश और मीडिया को वास्तविक मुद्दों से भटकाने के लिए. जिससे की पूरा देश और देश की मीडिया भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी आदि प्रमुख मुद्दों को भूल कर उम्र के आंकड़ों में उलझी रहे. जिससे सरकार कुछ समय के लिए ही सही पर अपनी कमजोरियों पर पर्दा दाल सके और वह इसमें सफल भी रही.
          सरकार ने डोनाल्ड शॉ और मैक्सवेल मैक्कॉम्ब के ‘एजेंडा सेटिंग थ्योरी’ का इस्तेमाल शानदार तरीके से किया और मीडिया भी अपने ही थ्योरी के भंवर में फंसती हुई लाचार नजर आई.

2 comments:

Anonymous said...

Good बात

aamirpasha said...

नौकिरी मिलने की उम्र 18 वर्ष रख सकते है उस पर कोई विचार नही होता है सरकार जनता को बेवकूफ बनती है। अगर सरकार की अवकात होती तो वह नौकरी की उम्र 18 से 16 या 14 करते अमूमन 10वी 16 साल मे पास कर ली जाती है।
सेक्स उम्र पे मात्र के एजेंडा बनाकर लोगो के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। ताकि मुख्य मुद्दों से युवाओं का ध्यान भटका रहे।