2. राहुल गांधी को अगला प्रधानमंत्री बनाने के लिए जनसंपर्क इकाई की भूमिका निभाने के लिए?
3. खाद्य पदार्थों की कीमतों में बेतहासा बढोत्तरी के लिए?
4. नौ महीने के भीतर पेट्रोल की कीमत में नौ बार की रिकॉर्ड वृद्धि के लिए?
5. पूँजीपतियों को अनुचित रूप से अतिरिक्त लाभ पहुंचाने की वजह से?
6. कमजोर तबके के बदहाल स्थिति का मजाक उस महारानी की तरह उड़ाने के लिए जिसने कहा था कि गरीबों के पास अगर दाल-रोटी नहीं है तो ब्रेड-मक्खन खाएं?
7. राष्ट्रमंडल खेल से संबंधित बड़े घोटालों के लिए, जिसके कारण भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जगहसाई झेलनी पड़ी?
8. एक महत्वपूर्ण घटना, जिसे बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई- “आईसीसी जैसे धनकुबेर संस्था को भारत में क्रिकेट वर्ल्ड कप के आयोजन के लिए किन कारणों से टैक्स में छूट दी गई” के लिए?
9. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के लिए?
10. इसरो से जुड़े एस बैंड स्पेक्ट्रम के आवंटन में उजागर हुए अनियमितता के लिए?
11. देश में भ्रष्टाचार की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए?
12. देश को एक से बढकर एक भ्रष्ट, घोटालेबाज और कमजोर राजनेता देने के लिए?
13. गठबंधन का कोई मंत्री चाहे कितना भी भ्रष्ट या निकम्मा क्यों न हो, अगर वह कांग्रेस पार्टी तथा कांग्रेस की गठबंधन सरकार के लिए लाभकारी है तो उसका अंतिम समय तक हर संभव बचाव करने के लिए?
14. किसी भी भ्रष्टाचार, घोटाले या समस्या के जड़ में जाने के बजाए किसी एक को उसका जिम्मेदार ठहराकर, उसे बली का बकरा बनाते हुए उस मुद्दे से अपना पल्ला झाड़ने के लिए?
15. पिछले पूरे शीतकालीन सत्र को अपने हठ के कारण हंगामें की भेंट चढाने के लिए?
16. केंद्र के कांग्रेस गठबंधन सरकार के नाकतले कांग्रेस शासित राज्य में आदर्श सोसायटी महाघोटाले के लिए?
17. अनावश्यक रूप से भी ‘सांप्रदायिकता’ शब्द को बार-बार उछालकर आवश्यक मुद्दों से ध्यान बांटने तथा अपनी गठबंधन सरकार की कमजोरियों और नक्कारियों को छुपाने के प्रयासों के लिए?
18. न्यायालय के विकारधीन व्यक्ति विनायक सेन को योजना आयोग के हेल्थ स्टियरिंग कमिटी का सदस्य बनाकर न्यायालीय प्रक्रिया में रोड़ा अटकाने के प्रयास के लिए?
19. ढुल-मुल विदेश नीतियों के लिए?
20. देश के असंतुलित विकास नीतियों के लिए?
उपरोक्त प्रश्न आम जनता के मन में उठने वाले अनगिनत अनुत्तरित प्रश्नों की बानगी भर है। क्या कांग्रेस गठबंधन की सरकार को हाल में आए बंगाल विधान सभा चुनाव के नतीजों से डर नहीं लग रहा, जहां 34 साल से जमें वाम मोर्चा की सरकार को भी उखाड़ फेकने में आम जनता को झिझक महसूस नहीं हुई?
अंत में एक आखरी सवाल और भी है कि क्या उपरोक्त सभी सवालों के लिए सिर्फ केंद्र कि गठबंधन सरकार ही जिम्मेदार है या कमजोड़ विपक्ष भी? जिसके शीर्षस्थ नेताओं ने आपसी खिंचतान में आम जनता के सामने कोई विकल्प ही नहीं छोड़ा है।
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