Sunday, February 13, 2011

क्योंकि चिराग आँधियों में नहीं जलते..

चिराग आँधियों में नहीं जलते तो क्या हुआ? आँधियों में आग की लपटें तो उठती है| सूरज बादलों में नहीं चमकता पर बादलों से बरसात तो होती है| रेगिस्तान में पानी नहीं मिलता पर रत्न तो मिलते हैं| एक हाथ से ताली नहीं बजती पर एक हाथ दोस्ती के लिये तो बढते हैं| माना कि दलदल में घर नहीं बनते पर हम यह क्यों भूल जाते हैं कि कमल दलदल में ही खिलते हैं|

कठिनाइयों से कांपना, बाधाओं से हाँफना- यूवकोचित नहीं होता| युवावस्था तो नदी के प्रवाह की तरह है जिसे रोकें तो बिजली पैदा हो जाए| वरन् हमें भाग्य के भरोसे रहने के बजाए कभी हार न मानने की इच्छाशक्ति रखनी चाहिए|जरा उनके बारे में सोचिए जिनके दोनों पैर नहीं हैं, हाथ नहीं हैं या किसी न किसी रूप में अपाहिज हैं, उसकी तुलना में खुद को रख कर देखिए हम कितने सक्षम हैं| सिर्फ साँसों का रुक जाना ही मौत नहीं होती, मुश्किलों से घबराकर टूट जाना भी मौत है|

लक्ष्य प्राप्ति मायने रखता है| आलोचक को प्रशंसक बनते देर नहीं लगती| हमें लक्ष्य के साथ जिन्दा रहना चाहिये , लक्ष्य विहिन होकर नहीं| वृक्ष में फल नहीं लगे तो क्या हुआ उसके तने का फर्नीचर बनाना ही क्या कम है|

सूरज का बादलों से झांकना ही क्या कम है, कम से कम दिन का आभास तो करा ही देता है|

('हिन्दुस्तान' दैनिक से साभार, यह वर्षों पहले 'हिन्दुस्तान' दैनिक के किसी अतिरिक्तांक में छपा था, जिसकी तिथि और इस लेख के लेखक ना नाम मुझे याद नहीं| अगर किसी को इसकी जानकारी है तो कृपया वह जरूर बताएं ताकि मैं उसका प्रकाशन यहां कर सकूं, धन्यवाद|)


1 comment:

Unknown said...

it is a great experience. very nice keep it up.