भारत में वेश्यावृत्ति या देहव्यापार अभी भी अनैतिक देहव्यापार कानून के तहत आते हैं । समय - समय पर इसके कानूनी मान्यता को लेकर चर्चायें गर्म होती रहती हैं । सेक्सवर्करों तथा कुछ स्वयंसेवी संगठनों के द्वारा इस तरह की मांग उठती रहती है । कुछ वर्ष पहले महिला यौनकर्मियों का कोलकाता में एक अधिवेशन हुआ जिसमें यौनकर्मियों के संगठन `नेशनल नेटवर्क ऑफ सेक्सवर्कर्स` ने अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का फैसला किया ।
लेकिन बगैर कानूनी मान्यता के भी पूरे देश में यह कारोबार धरल्ले से चल रहा है। देश में आज कुल ग्यारह सौ सत्तर रेड लाईट एरिया है। इसमें व्यापारिक दृष्टिकोण से सबसे ज्यादा धंधा वाला एरिया है कोलकात्ता और मुम्बई। एक आकड़े के अनुसार करोड़ों रूपयो का साप्ताहिक बाज़ार है अकेले मुम्बई का रेडलाईट एरिया। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा एक ऐसा क्षेत्र है जहां देह व्यापार की प्रथा का एक लम्बा इतिहास है । इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो पहले जो ` मुजरा ´ तथा नाच - गानों के केन्द्र के रूप में जाने जाते थे वही बाद में वेश्यावृत्ति के अड्डों के रूप में मशहूर हो गए।
एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में यौनकर्मियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही हैं । 1997 में यौनकर्मियों की संख्या 20 लाख थी जो 2003-04 तक बढ़कर 30 लाख हो गई। 2006 में महिला और बाल विकास विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट में यह भी पाया गया था कि देश में 90 फीसदी यौनकर्मियों की उम्र 15 से 35 साल के बीच है ।
ऐसे भी मामले देखने में आए हैं जिसमें झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तरांचल में 12 से 15 वर्ष की कम उम्र की लड़कियों को भी वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है । पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकात्ता से सटा दक्षिण 24 - परगना ज़िले के मधुसूदन गांव में तो वेश्यावृत्ति को ज़िन्दगी का हिस्सा माना जाता है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि वहां के लोग इसे कोई बदनामी नहीं मानते। उनके अनुसार यह सब उनकी जीवनशैली का हिस्सा है और उन्हें इस पर कोई शर्मिंन्दगी नहीं है। इस पूरे गांव की अर्थव्यवस्था इसी धंधे पर टिकी है ।
देश में रोजाना 2000 लाख रूपये का देह व्यापार होता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में 68 प्रतिशत लड़कियों को रोजगार के झांसे में फंसाकर वेश्यालयों तक पहुंचाया जाता है । 17 प्रतिशत शादी के वायदे में फंसकर आती हैं । वेश्यावृत्ति में लगी लड़कियों और महिलाओं की तादाद 30 लाख है । मुम्बई और ठाणे के वेश्यावृत्ति के अड्डों से तो खण्डित रूस और मध्य एशियाई देशों की युवतियों को पकड़ा गया है। भारत में वेश्यावृत्ति के बाजार को देखते हुए अनेक देशों की युवतियां वेश्यावृत्ति के जरिए कमाई करने के लिए भारत की ओर रूख कर रही हैं ।
मुम्बई पुलिस के दस्तावेजों के मुताबिक बाहर से आकर यहां वेश्यावृत्ति में लिप्त युवतियों में उज्बेकिस्तान की युवतिया सबसे ज्यादा हैं । गृह मंत्रालय के वर्ष 2007 के आंकडे़ के अनुसार भारत में तमिलनाडु और कर्नाटक देहव्यापार में शिर्ष पर हैं । 2007 के आंकडे़ के अनुसार वेश्यावृत्ति के 1199 मामले तमिलनाडु में और 612 मामले कर्नाटक में दर्ज किए गए । ये मामले वेश्यावृत्ति निवारण कानून के तहत दर्ज किए गए हैं ।
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