देखो गरीबों की दीन-दसा |
फिर भी अमीरों की ठाठ सजा |
कहीं सूखी रोटी पे आफत |
कहीं मिष्ठानों की बरसात |
कहीं पट की सामर्थ नहीं |
कहीं पट न सुहात |
कहीं रही कल्पना भी फिकी |
कहीं हकीकत पे रंग चढा |
कहीं जीवन खाली पड़ा |
कहीं उमंग ही उमंग भरा |
देखो गरीबों की दीन-दसा |
फिर भी अमीरों की ठाठ सजा |
- Kushboo Sinha
9 th std.
D.A.V. Public School,
Pupri, Sitamarhi
2 comments:
Wow!!!gr8
a very profound analysis of wat is happening nowadays..
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