लोग आशान्वित हैं कि वहां भी अब कोई संतुलित विकास का मॉडल अपनाया जाएगा, सब के पास काम-धंधें होंगे, सब के घर में रोटियां होंगी, कोई भूखा नहीं सोएगा। शायद यह असंतुलित विकास ही राजशाही के खात्मे का सबसे बड़ा कारण थी और राजशाही के विरुद्ध चली आंधी के सूत्रधार माववादियों के पास सबसे बड़ा मुद्दा। अब मैं यहाँ एक बात स्पष्ट करना चाहूँगा कि नेपाल के माववादियों को भारत के माववादियों से थोड़ा अलग कर के देखने की जरूरत है। क्योंकि नेपाल के आम लोगों से बात करने के बाद यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि वहां के माववादियों ने आम लोगों का विश्वास जीता है, जिस तरह से अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में नेपाल के माववादियों की तस्वीर प्रस्तुत की जाती है, स्थानीय लोगों के मन में नेपाली माववादियों की तस्वीर उससे बिल्कुल अलग है। अगर नेपाल के आम लोगों के विश्वास की बात की जाए, तो ज्यादातर लोगों का मानना है कि नेपाल में माववादी ही हैं, जो देश मैं फैले भ्रष्टाचार और वर्षों से फैली कुव्यवस्था के साथ-साथ जातीय भेदभाव पर काबू पाने का माद्दा रखते हैं। इतना ही नहीं ज्यादातर आम नेपाली जनमानस का मानना है कि नेपाल में माववादी पार्टी ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जो निष्पक्ष निर्णय लेने का साहस रखती है। क्योंकि लगभग एक आम धारणा दिखती हैं कि राजसत्ता के समाप्त हो जाने के बावजूद आज भी मावावादियों को छोड़कर अन्य सभी पार्टियां राजशाही के दबाव में काम करती है।
इन सबके बावजूद अगर विकास की बात कि जाए तो अभी भी लोग इसके व्यवस्थित शुरूआत की बाट जोह रहे हैं। भारत और भारतीयों के प्रति आत्मीयता रखने के बावजूद नेपाली जनमानस नेपाल के सम्पूर्ण घटनाक्रम में भारत की भूमिका को लेकर दुखी रहते हैं कि नेपाल के लिए जिस तरह एक अच्छे पड़ोसी धर्म का निर्वहन भारत कर सकता है, वह भारत नहीं कर रहा। परन्तु उन्हें उम्मीद है कि वह लोग भी खुशहाली की दहलीज पर ही खड़े हैं और आने वाला समय उनके देश नेपाल के लिए भी खुशियाँ लेकर आएगा।
3 comments:
आपका अनुभव काफी ज्ञानवर्धक है. तस्वीरें नेपाल यात्रा करने को प्रेरित करती है.
फिर देर किस बात की?
Plan & go.
इस ब्लॉग में नेपाल पर आधारित जानकारी के लिए धन्यवाद और तस्वीरें नेपाल यात्रा करने की प्रेरणा देती है
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