Friday, March 27, 2009

एक विद्यालय ऐसा भी





विवेक विश्वासः
यह विद्यालय बिहार में नितीश सरकार की पूरी शिक्षा नीति की पोल खोलता नजर आ रहा रहा है. भले ही नितिश सरकार तथा उनके चाटुकार-कार्यकर्त्ता आत्मप्रशंसा में डूबकर चुनाव से पहले अपनी उपलब्धियाँ गिनाने में जुटे हों पर बिहार के सीतामढी जिले के कमलदह पंचायत का यह नव विद्यालय इकलौता नहीं है जिसे स्थापित हुए तीन साल या इससे अधिक समय हो गए, लेकिन आज भी वह नवस्थापित ही है. ऐसे विद्यालय से पूरा बिहार अटा परा है. यह विद्यालय अपने तरह के उन सभी विद्यालयों का प्रतिनिधित्व करता है जहाँ भारत के भविष्यों की शिक्षा की शुरुआत होती है. हाँ इन भविष्यों में ब्रेड और जैम से पलने वाली पिढी जरूर शामिल नहीं है. और शायद यही कारण है कि ऐसे विद्यालयों को आधारभूत जरुरतों के लिए भी न जाने कब तक इंतजार करना परता है. चाहे चुनाव पर चुनाव होते रहें, सरकारें बदलती रहें, कुर्सी बचाने के लिए लालु-रामविलास-मुलायम जैसी तिकड़ीयां बनती और बदलती रहे, पर शायद ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का वह सपना जिसमें उन्होंने विकास का लाभ समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुँचाने की बात कही है पूरी हो.
वह अंतिम पंक्ति भोजन किसी तरह जुटा भी ले, फिर भी 'उपेक्षा' शायद उनकी नियती ही बन गई है चाहे शिक्षा हो या स्वास्थय एवं रोजगार. पर हम सोचने वाले इस विद्यालय को देखने के बाद यह सोच कर खुश हो सकते हैं कि अंतिम पंक्ति के बच्चों के सर पर फूस का छप्पर ही सही नसीब तो है.कल कौन जाने यह भी न बचे?

Friday, March 6, 2009

लालू की ट्रेन उनके अपने ही राज्य में


लालूजी अपने हर भाषण में खुद को गरीबों का मसिहा बताते हुए कहते हैं कि 'उन्होंने अपने पुरे कार्यकाल में न ही रेल किराया बढाकर आम लोगों पर अतिरिक्त बोझ डाला है और न ही घाटे का रेल बज़ट पेश किया़'.पर क्या रेलमंत्री लोगों को इस हद तक बेवकूफ समझते हैं कि आम जनता उनकी बातों का सही आकलन भी नहीं कर सकती?
उन्होंने लाभ का बज़ट पेश ज़रुर किया है पर भाड़े को पिछले दरबाजे से बढाकर.आज स्थिति यह है कि ट्रेनों की संख्या बढाने के बजाए,जेनरल कोटे के सीट घटाकर तत्काल कोटे की सीट संख्या बढा दी गई है.ट्रेनों को सुपरफास्ट कर भाड़ा तो अधिक वसूला जा रहा है पर आज भी वे ट्रेनें सफ़र तय करने में उतना ही समय ले रही है जितना पहले लेती थी.ट्रेनों में भीड़ का अंदाजा उनके अपने ही राज्य के इन ट्रेन की तस्विरों को देखकर लगाया जा सकता है जो बिहार के सीतामढी जिले में ली गई है.